तेलंगाना के गांवों में नवजागृति
वनम ज्वाला नरसिम्हा राव
Hindi Milap
(20-08-2019)
महात्मा गाँधी ने कहा था की अगर आप कुछ नहीं करेंगे तो किसी तरह के परिणाम नहीं आएंगे। महात्मा गाँधी के इस सूचना का कार्यान्वयन करते हुए तेलंगाना सरकार ने ग्राम स्वराज्य की लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कदम आगे बढ़ाया। ग्राम कल्याण और विकास में तेजी परिणाम लाने के लिए नया पंचायत राज अधिनियम को कार्यान्वयन किया गया हैं। तेलंगाना सरकार की अटूट इच्छाशक्ति नए पंचायती राज अधिनियम के निर्माण में दिखाई देती है। अधिनियम का उद्देश्य हर गाँव को एक प्रगतिशील,
समृद्ध और आदर्श स्थान में परिवर्तित करना है, जो हरियाली और स्वच्छता के साथ समृद्ध हो। चुने गए प्रतिनिधियों और अधिकारियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का स्पष्ट रूप से उल्लेख करके, यह सरकार की व्यापक समझ को दर्शाता है। अधिनियम का उद्देश्य ग्राम प्रशासन में वांछित गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना है।
राज्य सरकार ने गाँव की उन्नति और विकास के एकमात्र उद्देश्य के साथ अधिनियम में अपनी शक्तियों स्वयं को रोक दिया हैं। उदाहरण के लिए,
सरपंच के निलंबन आदेशों को रोकने में पहले जो अधिकार थी वह अब दूर हो गई है और कलेक्टर के अधिकारों को विस्तृत किया गया हैं।
राज्य सरकार द्वारा फंड्स का आवंटन जो कि इच्छाशक्ति पर था अब अनिवार्य किया गया है। किसी विशेष वर्ष में अप्रकाशित धनराशि( अनरिलीस्ड् फंड्स) को अगले वर्ष को ले जाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। लगभग सभी अधिकार विकेंद्रीकृत हैं और स्थानीय निकायों को सौंप दी गई हैं। जनप्रतिनिधियों की भूमिका स्पष्ट करने और धनराशि(फंड्स) जारी करना अनिवार्य बनाने के बाद, सरकार अब स्थिर है और अपने कर्तव्यों के निर्वहन के संबंध में स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ कठोर व्यवहार करना चाहती हैं।
अनाथ गाँव
यद्यपि हम आजादी के 73 वां वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, फिर भी गांवों का भाग्य अब भी ठीक नहीं है। गावों की परस्तिथि ऐसा बिगड़ गयी हैं की न्यूनतम सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। गांवों में मलबे, जीर्ण घरों, मवेशियों के खेत, सांप,जंगली घास, गोबर, मच्छर, गंदे पानी के गड्ढे, प्रदूषित हवा, पानी और भोजन, उपेक्षित(खुलेहुए)बोरवेल, पागल कुत्ते, सूअरों, बंदरों, झुकी हुई बिजली के खंभे आदि के साथ अस्वच्छ स्थिति है। यह केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में व्याप्त है। इन में परिवर्तन आनी चाहिए, काफी प्रबल परिवर्तन की ज़रूरत हैं।
जो परिवर्तन की आवश्यकता थी उसे तेलंगाना सरकार ने कर के दिखाया है। मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने ग्राम पुनरुत्थान और पुनर्जागरण के विशाल कार्य को अपनाया है और नया पंचायती राज इसके लिए सक्षम ढांचा हैं। पंचायत राज अधिनियम का मूल आधार गांवों में गुणात्मक परिवर्तन लाना है और ग्राम विकास अब इस अधिनियम को सार्थक तरीखे से सफलता पूर्वक कार्यान्वयन करने में निर्भर हैं।
मेहनत का फल
प्रत्येक ग्राम पंचायत में हाल ही में सरपंच, उप-सरपंच और वार्ड सदस्य चुने गए थे। नए पंचायत सचिवों की भी भर्ती की गई। वे सभी अपने नेतृत्व में अपने-अपने गांवों में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए उत्सुक हैं। वे लोगों के दिलों को जीतने के लिए उत्सुक हैं ताकि वे पुनः जीत हासिल कर सकें। पंचायत राज अधिनियम एक प्रावधान का उल्लेख करता है जिसमें आरक्षण को दस साल के लिए लागू किया गया है ताकि वर्तमान सरपंच को पुन: नियुक्त किया जा सके। यह टिकाऊ विकास के लिए कड़ी मेहनत और निस्वार्थ रूप से काम करने वालों के लिए एक अवसर प्रदान करता है।
पहले जो अवधारणा था जो गाँव में अकेले सरपंच को शक्तिशाली बनाया था वो गलत था। ग्राम पंचायत सरपंच, उप-सरपंच और वार्ड सदस्यों का एक संयोजन है। उनके अलावा प्रत्येक पंचायत में तीन सहयोजित( कोऑप्टेड) सदस्य होंगे जिनमें एक सेवानिवृत्त कर्मचारी शामिल होगा, जो ग्राम विकास के लिए प्रेरणा होगा या वरिष्ठ नागरिक; ग्राम स्तर के संघों में से एक अध्यक्ष और ग्राम विकास के लिए एक संभावित दाता। मतदान के अधिकार को छोड़कर,
इन सहयोजित( कोऑप्टेड) सदस्यों के पास चुने गए सदस्यों की तरह सभी समान शक्तियां होती हैं।
चार समितियाँ
पंचायत को सुझाव देने के लिए स्वच्छता प्रबंधन, गाँव रोशनी प्रबंधन, वृक्षारोपण और गांव का बाजार स्थायी समितियाँ भी होंगी। इन समितियों में गांव के बुजुर्ग सदस्य होंगे। प्रत्येक समिति में 15 या 20 या 30 सदस्य और सभी समितियों में मिलाकर 60 से 120 सदस्य होंगे।गाँव का क्षेत्र और आबादी के आधार पर इस का निर्णय होगा। सौंपे गए सभी विषयों की समीक्षा करने का अधिकार उन्हें होगा। इन समितियों के द्वारा दिए गए सिफारिशों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए।
गंगादेवीपल्ली गाँव इन समितियों के गठन की प्रेरणा दिया है। गांव से संबंधित सभी कार्यों की समीक्षा करने की शक्ति ग्राम सभा को है और पंचायत ग्रामसभा के प्रति जवाबदेह है। ग्राम सभा की कोई भी आक्षेप मान्य हैं और पंचायत इस का बाध्यकारी है।इस के अलावा, सरपंच को उप-सेरपंच, वार्ड सदस्यों, सहयोजित( कोऑप्टेड) सदस्यों और स्थायी समिति के सदस्यों के साथ घनिष्ठ समन्वय और सहयोग से काम करना चाहिए।
बैंक चेक जारी करने का अधिकार
चेक जारी करने की अधिकार को सरपंच और उप-सरपंच को संयुक्त रूप से दिया गया है। केवल ग्राम पंचायत की मंजूरी के साथ किए गए कार्यों के लिए बिलों को मंजूरी दी जाती है। व्यक्तिगत सनक और पसंदगी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। ग्राम पंचायत कि निधि से उनके द्वारा निष्पादित कार्यों के भुगतान के लिए न तो सर्पंच और न ही उप-सरपंच और न ही वार्ड सदस्य दावा कर सकते हैं। यह मांग करना अनुचित है कि उप सरपंच को छोड़कर चेक जारी करने का अधिकार केवल सरपंच को ही देना चाहिए।
दरअसल, वार्ड सदस्य भी मांग कर रहे हैं कि उन्हें गाँव के विकास में भागीदार बनाया जाए। इतना ही नहीं पूर्व दिनों की तरह अब सरपंच इच्छाओं के अनुसार चेक जारी करने की कोई मौका नहीं है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, सरकार द्वारा घोषित 60-दिवसीय कार्य योजना शीघ्र ही लागू की जाएगी। यह चेक के भुगतान और जारी को भी नियंत्रण करेगा।
तेलंगाना सरकार सीधे गांवों में आवश्यक कई सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करती है ताकि ग्राम पंचायतों पर कोई बोझ न पड़े। आरडब्लूएस(ग्रामीण जल आपूर्ति) के माध्यम से मिशन भगीरथ योजना के द्वारा हर घर को सुरक्षित पीने का पानी दिया जा रहा हैं। दिन रात गुणवत्ता वाली बिजली की आपूर्ति ऊर्जा विभाग द्वारा की जाती है। रयथु बंधु के माध्यम से निवेश सहायता कृषि विभाग द्वारा प्रदान की जाती है। बढ़िया चावल(फाइन राइस) योजना लागू की गई है। अंगनवाड़ियों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के साथ-साथ बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जाता है। राशन की दुकानों के माध्यम से चावल और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति की जाती है। आसरा पेंशन राज्य सरकार द्वारा सीधे भुगतान किया जाता है। केसीआर किट्स स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से प्रदान किए जाते हैं। ये सभी और बहुत से कार्य ग्राम पंचायतों की भागीदारी के बिना और गाँव के धन(फंड्स) को छुए बिना किए जाते हैं।
पंचायत की जिम्मेदारियां
इसके साथ, ग्राम पंचायतों को, अन्य जिम्मेदारियों को निभाते हुए ग्राम स्वच्छता, कचरा निकासी पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। कचरे को डंपिंग यार्ड में ले जाना और उसे खाद के रूप में परिवर्तित करना पंचायतों की जिम्मेदारी है। नए अधिनियम के तहत सड़क पर कचरे फेंकने के लिए 500
रुपये का जुर्माना भुगतान करने पड़ेगा। अधिनियम के प्रावधानों का उपयोग करके, ग्राम पंचायतों को गाँवों को साफ़ - सुथरा रखने का प्रयास करना चाहिए। वृक्षारोपण और उनका संरक्षण एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। ग्राम रोशनी प्रबंधन और कर संग्रह भी उनके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
इस तरह के कदमों से ग्राम प्रशासन में गुणात्मक परिवर्तन आएंगे। गांवों को सुधारना होगा। दुष्टता को दूर करना होगा। नया पंचायत राज अधिनियम के पीछे यह विचार है। सरकार को यह अटल विश्वास हैं की तेलंगाना के गाँव भारत में आदर्श गाँव बनेंगे। यह देखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि क्रांतिकारी अधिनियम को उसके पत्र और भावना में लागू किया जाए। यह हमारे गांवों को विकसित करने का सबसे अच्छा मौका है। इस अधिनियम के तहत आदर्श गांव बनाने की दिशा में लोगों और उनके प्रतिनिधियों को आपस में मिलझुलकर काम करना होगा।
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