Monday, July 15, 2019

क्या भारत का आर्थिक सपना सच होगा ? : वनम ज्वाला नरसिम्हा राव,


क्या भारत का आर्थिक सपना सच होगा ?
वनम ज्वाला नरसिम्हा राव,
तेलंगाना मुख्यमंत्री के मुख्य जन - संपर्क अधिकारी
डेली हिंदि मिलाप् (16-07-2019)

संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश किया हुवा 2019 - 20 बजट में उन्होंने प्रस्तावित किया हुये कुछ सकारात्मक क्रियाओं के फलस्वरूप भारत की आर्थिक व्यवस्था 2024 तक पांच अमेरिकन ट्रिलियन डॉलर्स तक पहुंचेने की उम्मीद केंद्र सरकार करती हैं । निर्मला सीतारमण के  प्रस्तावों के जरूरत होने पर भी, राज्यों के जरूरतों के अनुसार जमीन,  श्रमक, ऋण, कृषि  इस के सात शिक्षा, चिकित्सा जैसे सेवा कार्यक्रम सम्बंधित क्षेत्रों में वांछनीय मौलिक सुधारों को स्पष्ट नहीं किया गया हैं। आर्थिक अंकगणित गणना और वृद्धि के पूर्वानुमान आशाजनक दिखने के लिए केंद्र सरकार ध्यान रखने पर भी, तेलंगाना जैसी  नयी बनी गतिशील राज्यों को प्रोत्साहित करते हुए, इस के द्वारा देश का विकास हासिल करना, सार्थक सहकारी संघ प्रेरणा के लिए पुन: समर्पित होने से शायद देश की भलाई होगी! परन्तु, यह विषय बजट पे कही नहीं पाए गए हैं।  

भारतीय किसान पर काफी दबाव, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कठिनाइयाँ और दोलनशील अवस्था की स्थिति के दौरान, तेलंगाना सरकार राष्ट्र के मार्गदर्शक के रूप में "रैतुबंधु (किसान का संबंधी या सहायक)" योजना का परिचय और कार्यान्वयन कर के, इस योजना के द्वारा 52 लाख किसानों को प्रति एकड़  दोनो  फसलों के लिए (जून महीने के पहले खरीफ को, नवंबर महीना के पहले रबी फसल को ) मिला के रु. 10000/- का कृषि निवेश उपहार दिया जा रहा हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा पाया हुवा इस अभिनव योजना का रचना और कार्यान्वयन प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से कई गुना बेहतर हैं। दरअसल में "रैतूबंधु" योजना नमूना के अनुसार "पीएम किसान सम्मान योजना" को थोड़ा सुधार के, किसान को सार्थक तरीके से कृषि निवेश दिलवा कर, किसानों की आय में वृद्धि लाये तो बेहतर होसकती थी। इस का उल्लेख बजट में नहीं करना शोचनीय हैं।

10,000 किसान उत्पादक कंपनियों की स्थापना करना स्वागत करने का विषय हैं। हालांकि, विपणि के अनुसार जो कुछ भी आवश्यक है वह केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से अनाज की अधिग्रहण का विस्तार करना, संग्रह सूची में अधिक फसलें जोड़ना और न्यूनतम समर्थन मूल्य को ठीक ढंग से लागू करना है। बड़े पैमाने पर कोल्ड वेयरहाउस और अन्य वेयरहाउस इन्फ्रास्ट्रक्चर का इंतजाम करने से ग्रामीण क्षेत्रों में पूँजी निवेश व्यापक रूप से विस्तार करने की संभावना हैं। पर यह नहीं हुआ । तेलंगाना में नाबार्ड द्वारा दिया हुवा वेयरहाउस इन्फ्रास्ट्रक्चर निधि का सम्पूर्ण उपयोग से, तेलंगाना सरकार  ने  चार साल में वेयरहाउसों की क्षमता आठ गुना बढ़ाया । इस कार्यक्रम को अन्य राज्यों में कार्यान्वयन करने की बात बजट में जतानी थी।

2024 तक सभी ग्रामीण आवासों को नलों के द्वारा पीने की पानी का व्यवस्था की योजना करने की विचारधारा से शुरू किया हुवा अद्वितीय योजना की कार्यान्वयन के लिए "जल शक्ति मंत्रालय" की स्थापना करने की घोषणा करना स्वागत करने का विषय हैं। यह योजना आरम्भ दशा में  देश भर में 256 जिलों और 1592 ब्लाकों में " जल जीवन मिशन" के नाम से कार्यान्वयन  होनेवाली हैं। इस दौरान तेलंगाना में चल रही अभिनव, सभी वर्गों की जनता की प्रशंसा प्राप्त किया हुआ "मिशन भगीरथा" योजना का उल्लेख बजट में करना चाहिए था। दरअसल, तेलंगाना सरकार सत्ता पर आने के बाद शीघ्र समय में लाया हुआ "मिशन भागीरथा" योजना नलों के द्वारा शुद्धीकरण किया हुआ पीने का पानी को 24,000 ग्रामीण निवास, 80 लाख गृहों को सप्लाई कर रही हैं।  इस योजना को रु. 42,000 करोड़ों का  लागत हो रहा हैं। अगर केंद्र सरकार पूरा देश को पीने का पानी नलों के द्वारा देने की लक्ष्य से जल जीवन मिशन को ला रही हैं । परन्तु, प्रस्तावित किया हुआ रु.10,000/- करोड़ किसी भी कोने तक पर्याप्त नहीं होंगे। इस के साथ नीति आयोग सिफारिशों के अनुसार मिशन भगीरथा योजना की  प्रोत्साहन के लिए व्यापक रूप से फंड्स जारी करनी चाहिए।  इस योजना की कार्यान्वयन द्वारा  तेलंगाना राज्य राष्ट्र की  कम्पास की भूमिका निभा रही हैं ।  इतना ही नहीं इस योजना के द्वारा तेलंगाना राष्ट्र की नेतृत्व की दूरदर्शिता और राज्य की क्षमता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा हैं।  

बारिश की पानी को संचित कर के उस का उपयोग करना और भू-गर्भ जल का स्तर बढ़ाना जल शक्ति मंत्रालय लांच करने वाली और एक मुख्य कार्यक्रम हैं। इस विषय में भी तेलंगाना राज्य शीर्ष स्थान पर, सब से आगे हैं। मिशन काकतिया योजना के द्वारा, आने वाले तीन सालों में 40,000 तालाबों की शृंखला सुधार के सम्पूर्ण रूप से उन तालाबों जीर्णोद्धार किया गया हैं। इस योजना को फंड्स जारी करने की निति आयोग के सिफारिशों के बावजूद केंद्र सरकार ने इस बात को बजट में उल्लेख नहीं करना शोचनीय हैं।


तीन करोड़ छोटे व्यापारी, छोटे दुकानदारों को पेंशन की उपलब्धि दिलाने के लिए उद्देशित "प्रधानमंत्री कर्मयोगी मानधन" योजना स्वागत करने का विषय हैं।  राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रमों का कार्यान्वयन के लिए  वृद्धावस्था पेंशन तहत हर महीना केवल रु. 200 , वो भी तेलंगान में केवल 6.67 लाख लोगों को ही देने की प्रस्ताव करना ठीक नहीं हैं। इस कुल को बढ़ाना चाहिए।  दरअसल, तेलंगाना सरकार अपनी स्वयं संसाधनों से वृद्धावस्था पेंशन तहत हर महीना रु. 2016, दिव्यांगों को रु. 3016 की पेंशन दे रही हैं।  इस योजना के द्वारा 47. 88 लाख लोगों को लाभ हो रहा हैं।

मछुआरों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना प्रक्षेपण करना आमंत्रित करने का विषय हैं। तेलंगाना सरकार मीठे पानी की मछलियों की पालन के द्वारा उत्पादन और उत्पादकता काफी मात्रा में बढ़ाने के लिए इसी तरह के उपाय किया हैं। कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना परियोजना का निर्माण पूरा होने के बाद पूरी तेलंगाना राज्य में बड़े बड़े जलाशय का निर्माण होगा। इन जलाशयों में मछलियों का पालन, उत्पादन व्यापक रूप से बढ़ेगी। इस क्षेत्र में तेलंगाना सरकार प्रक्षेपन और कार्यान्वयन किई हुई  योजनाओं को देश भर में लाने की विषय बजट में जताना चाहिए था। यदि ऐसा होता, तो यह कार्यक्रम अन्य राज्यों में शुरू हो सकता था।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का पुनर्निर्माण और रेलवे में  सरकारी और निजी भागीदारी शुरू करना, गैस ग्रिड, पानी का ग्रिड और विमानाश्रयों का ब्लू प्रिंटों का डिज़ाइन आमंत्रित करने वाली और कुछ कारक हैं। हालांकि, इस दिशा में पूरा लाभ उठाना तो, सरकार - निजी भागीदारी प्रक्रिया के कुछ बुनियादी  विषयों में परिवर्तन लाने की जरूरत हैं। भूमि अधिग्रहण जैसी प्रक्रियाओं को सरल और तेजी बनाना चाहिए। अन्यथा, रुकी हुई परियोजनाएँ बहुमूल्य वित्तीय संसाधनों को अप्रयुक्त बनाती हैं। इन मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है। तेलंगाना सरकार भूमि अधिग्रहण कानून को सरल बनाने और भूमि अधिग्रहण में तेजी लाने के लिए राज्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए संशोधन किया। इस परियोजना ने उन प्रवासियों को भी बेहतर मुआवजा प्रदान किया जिन्होंने परियोजना के तहत अपनी भूमि और अन्य धन खो दिया। मानवतावादी दृष्टिकोण से लिया हुआ इस निर्णय से और इसके कार्यान्वयन से परियोजनाओं को जल्दी से पूरा करने का क्षमता प्राप्त हुआ। इसका परिणामस्वरूप, करदाताओं का करोड़ों रुपयों को बचाया गया है। यह भी अन्य राज्यों में अपनाने के लिए यदि बजट में उल्लेख किया जाए तो अच्छा होता।

पीएम आवास योजना के तहत 1.95 करोड़ घर प्रधान करना सफलतापूर्वक विषय है। परन्तु, केवल जातिगत जनगणना के आंकड़े से लाभार्थियों को चुना जाने की  प्रावधान से राज्यों के लिए कुछ बाधाएं हो रही हैं। आत्म-सम्मान की निशानी के रूप में  तेलंगाना सरकार द्वारा लाया हुआ दो-बेडरूम घरों की तरह यदि इस प्रावधान को सरल बनाया जाएगा तो बेहतर होगा।

निवेश निकासी का लक्ष्य बहुत बड़ा हैं। 25 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर कटौती 400 करोड़ रुपये से अधिक कारोबार वाली कंपनियों के लिए अच्छी होगी, लेकिन सभी के लिए नहीं। केवल रु. 2 करोड़ और रु. 5 करोड़ के आय के लोगों की आयकर को बढ़ाना प्रतीकात्मक दिख रहा हैं। यह उन व्यापारियों के लिए एक झटका है जो रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्टार्टअप्स के लिए विशेष (कर) आकलन, पूर्व भरे हुए आयकर फॉर्म, फेसलेस आकलन, नागरिकों को कर भुगतान सरलीकरण और पारदर्शिता भी स्वागत योग्य हैं। पैन कार्ड, आधार कार्ड कनेक्टिविटी और एंजेल टैक्स का निष्कासन भी अच्छे परिणाम हैं।

टैरिफ में वृद्धि कई वस्तुओं के लिए चिंता का विषय है। यदि भारत को 8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि की ओर बढ़ना है, तो देश के औद्योगिक क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी और गुणात्मक होना चाहिए। तब ही निर्यात बढ़ने की संभावना है। "मेक इन इंडिया" हासिल करने के लिए यह एकमात्र तरीका है। यदि व्यापार भागीदारों को टैरिफ बढ़ने के कारण शुल्कों में वृद्धि से प्रेरित किया जाता है, तो भारतीय उपभोक्ता को अंत  में गुणवत्ता रहित चीजे प्राप्त होंगे। यदि भारत को विश्व आपूर्ति बाजार में चीन की स्थान को प्रतिस्थापित करना चाहिए, तो टैरिफ बढ़ोतरी एक उलटने का कार्य और प्रतिबंधक बन जाता हैं।

विदेशी मुद्रा में ऋण संग्रह सही कदम हैं, लेकिन विदेशी मुद्रा को लाने में रहे जोखिमों को उचित रणनीतियों के द्वारा  और परिहार उपकरणों के द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है। यह न केवल देशी निधियों के लिए भीड़ और प्रतिस्पर्धा को कम करेगा, बल्कि निजी क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से ऋण उपलब्धता को भी बढ़ाएगा और आर्थिक विकास को संवृद्धि देगा। पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रति लीटर रुपया बढ़ाने से केंद्रीय संसाधनों में कुछ वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह क्रिया उपभोक्ता की कमर को तोड़ देना ही हैं। इससे मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावनाओं को ठुकरा नहीं सकते हैं ।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि अमेरिकी मुद्रा में पाँच ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था की ओर भारत आगे बढ़ेगी तो सभी भारतीयों को गर्व होगा। परन्तु, उस स्तर तक पहुँचने के लिए आवश्यक रणनीति बजट भाषण में स्पष्ट न करने की साथ साथ कम से कम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विषय को उल्लेख भी नही किया। फिर भी इस इच्छा को व्यक्तित करने के लिए मंत्री जी को बधाई।

No comments:

Post a Comment